“जय गणेश जय गणेश देवा” के लयबद्ध मंत्र मंदिरों और घरों में गूंजते हैं, जो भक्ति का सार रखते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं। आज, हम इस खूबसूरत परंपरा के केंद्र में यात्रा पर निकल रहे हैं – Ganesh Ji Ki Aarti ।
सिर्फ एक गीत से अधिक, आरती एक पवित्र अनुष्ठान है, बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान और समृद्धि के अवतार भगवान गणेश (Ganesha/Ganpati) के लिए प्यार और श्रद्धा से भरा एक दीपदान है। चाहे आप एक अनुभवी भक्त हों या केवल हिंदू रीति-रिवाजों के बारे में उत्सुक हों, यह ब्लॉग गणेश जी की आरती के महत्व और सुंदरता को समझने का आपका प्रवेश द्वार है।
“Shree Ganesha Aaarti Sangrah”
“जय गणेश जय गणेश देवा आरती” Shree Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
“Jay Ganesh Jay Ganesh Deva Lyrics”
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव ॥
“सुखकर्ता दुखहर्ता आरती” Ganesh Ji Ki Aaarti Sukhkarta Dukhharta Lyrics in Hindi
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची।
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा।
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा ।
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना ।
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा, वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना।
जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥
Ganesh Aarti Ghalin Lotangan Lyrics “घालीन लोटांगण”
घालीन लोटांगण वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे ।
प्रेमें आलिंगीन आनंद पूजन ।
भावे ओवाळिन म्हणे नामा ।।
त्वमेव माता पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धु: सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव सर्वं मम देव ।।
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा ।
बुध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावात् ।
करमि यद्यत् सकलं परस्मै ।
नारायणायेती समर्पयामि ।।
अच्युतं केशवं राम नारायणम्
कृष्णदामोदरं वासुदेवं भजे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम्
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ।।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृ्ष्ण कृ्ष्ण हरे हरे ।।
।। मंगलमुर्ती मोरया ।।
।। गणपतिबाप्पा मोरया ।।
***श्री गणेश आरती*** गणेश की सबसे लोकप्रिय आरती है। यह आरती सुबह और शाम को गणपति के मंदिर में गाई जाती है।
आरती के लाभ:
- मन को शांत करती है और एकाग्रता बढ़ाती है: आरती मन को शांत करती है और एकाग्रता बढ़ाती है।
- तनाव और चिंता को कम करती है: आरती तनाव और चिंता को कम करती है।
- सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है: आरती सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
- आध्यात्मिक उन्नति : आरती से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- देवताओं का आशीर्वाद : आरती से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
आरती करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ बातें:
- आरती करते समय साफ कपड़े पहनें।
- आरती करते समय स्नान करके साफ-सफाई कर लेनी चाहिए।
- आरती एकाग्रता और शांत मन से करनी चाहिए।
- आरती करते समय ध्यान भगवान की छवि पर लगाना चाहिए।
- आरती पूरी करने के बाद भगवान को प्रणाम करें।
Shree Gansha Aarti आरती भगवान की पूजा करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। यह आपके आध्यात्मिक जीवन में समृद्धि और खुशहाली ला सकता है।
श्री गणेश आरती का संग्रह/Jai Ganesh Aarti Lyrics Sangrah
आरती संग्रह हिंदू धर्म में देवताओं की पूजा का एक रूप है। आरती में आमतौर पर दीपक, फूल, धूप और प्रसाद शामिल होते हैं। आरती गाना या बोलना भी आरती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारतीय संस्कृति में गणेश आरतियाँ (Ganpati Aarti) कई प्रकार की होती हैं, जो अपने क्षेत्र, भक्ति और उद्देश्य के अनुसार अलग-अलग होती हैं। यहां कुछ लोकप्रिय गणेश आरती/Jai Ganesh Deva Aarti Lyrics हैं:
महाराष्ट्रीयन आरती
- जय गणेश जय गणेश देवा: यह सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से गाई जाने वाली आरती है।
- सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची: यह प्रसिद्ध गणेश आरती मंगल और खुशी की आशा व्यक्त करती है।
- गणपति बप्पा मोरया: महाराष्ट्र में विशेष रूप से लोकप्रिय यह आरती गणपति की महिमा में मूर्ति को समर्पित है।
उत्तरी भारतीय आरती
- शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको: यह आरती गणेश की सुंदर और मनभावन मूर्ति का वर्णन करती है।
- जय जय श्री गणराज विद्या सुखदता: यह आरती ज्ञान के देवता के रूप में गणेश के रूप की स्तुति करती है।
- लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधन: यह आरती गणेश के विभिन्न रूपों और गुणों की स्तुति करती है।
दक्षिण भारतीय आरती
- श्री महागणपते नमस्ते: यह एक दक्षिण भारतीय शैली की आरती है, जो भगवान गणेश के अविनाशी रूप की स्तुति करती है।
- गणपतिं वंदे मखद्विजं गणेशं तन भजे: यह आरती संस्कृत मंत्र रूप में गणेश की वैदिक स्तुति है।
- विनायकम गणपतिम पसहस्तम चंचलायनम सुमहरथम: यह भगवान गणेश के सौम्य स्वभाव की स्तुति करने वाली आरती का एक और संस्कृत मंत्र रूप है।
अन्य प्रसिद्ध आरती
- सिद्धिविनायक जय गणपति: यह सिद्धिविनायक के स्वरूप को समर्पित आरती है।
- जय गणेश गौरीनंदन: इसमें गणेश जी और माता पार्वती के संबंध का वर्णन है।
- गणपते भजते हृदये यत्र सुखं च समृद्धिभवेत: यह एक मंत्र रूपी आरती है, जो जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती है।
इसके अलावा, कई क्षेत्रीय और पारिवारिक गणेश आरती भी होती हैं। इन सभी आरतियों का एक ही उद्देश्य है – अपने प्रिय दाता भगवान गणेश की स्तुति करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना।
आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से आरती चुन सकते हैं। सभी गणेश आरती को दिल से और आस्था के साथ गाने से उनका लाभ मिलता है।