Ganesh Ji Ki Aarti “Ghalin Lotangan” Lyrics

“गालिन लोटांगन” का मधुर मंत्र शांति और भक्ति को हवा में फैलाता है। यह सुंदर आरती, जो हाथी भगवान गणेश को समर्पित है, शब्दों से बाहर प्रेम, कृतज्ञता और आध्यात्मिक संबंधों की भावना व्यक्त करती है। लेकिन क्या आपने कभी वास्तव में प्रत्येक कविता के मूल्य, उससे निकलने वाली भावनाओं और उसके व्यापक सांस्कृतिक महत्व पर गहन विचार किया है?

Ganpati “Ghalin Lotangan” Aarti Lyrics

घालीन लोटांगण वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे ।
प्रेमें आलिंगीन आनंद पूजन ।
भावे ओवाळिन म्हणे नामा ।।

त्वमेव माता पिता त्वमेव ।
त्वमेव बन्धु: सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव सर्वं मम देव ।।

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा ।
बुध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावात् ।
करमि यद्यत् सकलं परस्मै ।
नारायणायेती समर्पयामि ।।

अच्युतं केशवं राम नारायणम्
कृष्णदामोदरं वासुदेवं भजे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम्
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ।।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृ्ष्ण कृ्ष्ण हरे हरे ।।

।। मंगलमुर्ती मोरया ।।

।। गणपतिबाप्पा मोरया ।।

गणेशजी का आशीर्वाद आपको सही रास्ते पर ले जाएगा, रुकावटों को दूर करेगा और आपके जीवन में एक सुखद शुरुआत देगा। याद रखें कि “घालिन लोटांगन” का अर्थ सिर्फ शब्दों में नहीं है, बल्कि उस भक्ति में है जो उसे प्रेरित करती है। तो अगली बार जब आप इस आरती को सुनते हैं, इसे गुनगुनाएँ, अपने दिल में एक लय महसूस करें और इसके दिव्य ज्ञान से जुड़ें।

आपका जीवन आनंद, समृद्धि और भगवान गणेश के अटूट प्रेम से भरा रहे।

ॐ गं गणपतये नमः!

Leave a Comment